शिवगढ़ प्रेस / दुर्ग :- श्री श्री रवि शंकर जी की संस्था आर्ट ऑफ़ लिविंग परिवार दुर्ग द्वारा दो दिवसीय प्रज्ञा योग ( इनट्यूशन कोर्स ) का जलाराम वाटिका में किया गया । प्रज्ञा योग की अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षिका का श्रेया चुग व सहयोगी छत्तीसगढ़ की वरिष्ठ प्रशिक्षिका शैलजा चंद्राकर के मार्गदर्शन में लगभग 100 से भी अधिक बच्चों ने इसका लाभ लिया ।
दो दिवसीय प्रज्ञा योग के इस प्रशिक्षण में आए बच्चों को प्राणायाम के विभिन्न आयामों से परिचित कराया गया । शिक्षकों के बेहतर मार्गदर्शन में सभी बच्चों ने काफी रुचि के साथ सभी प्राणायाम को पूरी तन्मयता के साथ सीखा। बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी प्रेरित किया गया कि प्रज्ञा योग के नियमित अभ्यास से ही उनका यह प्रयास काफी कारगर साबित होगा । इस दौरान पश्चिम बंगाल से आए अनिमेष ने अपने अनुभव बांटते हुए अभिभावकों को इसके लाभ को बताया । इस दौरान बच्चों की आंख में पट्टी बांधकर कलर शीट्स पर हूबहू रंग भरने की प्रक्रिया का अभ्यास भी कराया गया।
इस विडियो से जानिए आखिर कैसे होता है प्रज्ञा योग की प्रक्रिया और क्या है इससे लाभ?
आर्ट ऑफ़ लिविंग के अंतरराष्ट्रीय केंद्र बेंगलुरु से आई प्रशिक्षका श्रेया चुग और शैलजा चंद्राकर के मार्गदर्शन में आयोजन
आर्ट ऑफ़ लिविंग के अंतरराष्ट्रीय केंद्र बेंगलुरु से आई प्रशिक्षका श्रेया चुग और शैलजा चंद्राकर ने चर्चा में बताया कि इंट्यूशन प्रोसेस की संरचना गुरुदेव श्री श्री रविशंकर द्वारा प्राणायाम पर ध्यान विभिन्न प्रक्रियाओं के सम्मिश्रण से की गई है । (प्रज्ञायोग) के माध्यम से अपने अंतर्मन की आवाज सुनकर सही समय पर सही विचार आता है। प्रज्ञायोग से बच्चों की छठी इंद्री को जागृत करना सिखाया जाता है। इससे विद्यार्थियों के आत्मविश्वास, एकाग्रता, उत्साह और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। छोटे बच्चे का मन साफ होता है। कोई पूर्वाग्रह, गुस्सा, द्वेष, अहंकार नहीं होता। पूरे विश्वास के साथ हर बात मानते हैं। ग्रहण करने की शक्ति अधिक होती है।यही कारण है प्रज्ञायोग का प्रशिक्षण 5 बर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के किशोरों को ही दिया जाता है।
40 से भी अधिक देशों में दे चुकी है प्रशिक्षण
इस प्रज्ञा योग की अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षिका श्रेया चुग इन 8 वर्षों में भारत के अलावा अर्जेंटीना ब्राजील जापान चीन सहित लगभग40 से अधिक देशों में लगभग 40 हजार से भी अधिक बच्चों को प्रशिक्षित कर चुकी है ।
अनिमेष ने बताए अपने अनुभव
प्रशिक्षण में शामिल होने आए बच्चों को प्रेरित करने के लिए पश्चिम बंगाल से आए अनिमेष ने अपने अनुभव बताते हुए बताया कि वे प्रज्ञा योग का प्रशिक्षण 8 साल पूर्व लिया था तब से लेकर वह अब तक इसका नियमित अभ्यास करते हैं । इस अभ्यास को करने में उनका पारिवारिक माहौल उनका पूरा सहयोग करता है। नियमित अभ्यास की वजह से बहुत सी बातों का पूर्वज्ञान उन्हें होता है । इस प्रज्ञा योग की वजह से उन्हें अपना सही करियर चुनने में काफी मदद मिली। अपनी सहज क्षमताओं का उपयोग करके उन्होंने 1000 से अधिक मामलों को हल किया है, चोरी, लापता लोगों, अपहरण और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित मामलों में कर्नाटक, महाराष्ट्र, न्यूयॉर्क पुलिस विभाग की मदद की थी। वह telekinesis भी कर सकता है और जानवरों के साथ non-verbal रूप से संवाद कर सकता है। वह भारत के विभिन्न राज्यों की यात्रा कर रहे हैं और इस अद्भुत पाठ्यक्रम का लाभ फैला रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मुलाकात कर अपनी प्प्रतिभा से अवगत कराया सीएम ने उनकी इस प्रतिभा की काफी सराहना भी की है। अनिमेष की तरह, ऐसे कई अन्य बच्चे हैं जिन्होंने यह काम किया है, और भविष्यवाणियां करने, पहले से ही बीमारियों का निदान करने जैसी विभिन्न क्षमताओं को अनलॉक किया है और पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल की है। बच्चों को पता होगा कि उन्हें अपने लिए कौन सा करियर चुनना है, कौन से दोस्त उनके लिए अच्छे हैं, जीवन में आने वाली बाधाओं से कैसे निपटना है और भी बहुत कुछ। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से कोई क्या हासिल कर सकता है इसकी कोई सीमा नहीं है। माता-पिता को पता होना चाहिए कि उनके बच्चों में कितनी क्षमता है।
आयोजन में रहा अहम योगदान
प्रज्ञा योग के वृहद आयोजन में आर्ट ऑफ लिविंग दुर्ग- भिलाई परिवार से रश्मि जुनेजा, अमन बेलचंदन , वैशाली बढ़े, चन्द्रकला चौहान, पुष्पल,कृष्णवेणी, सतीश पड़ेगाउंकर , कुशाल चौहान , सारिका गुप्ता , सारिका साहू , वैभव चंद्राकर, गरिमा, प्रचीश सहित आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक और वोलेंटियर्स का विशेष सहयोग रहा।
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