शिवगढ़ प्रेस / दुर्ग :- 09 मार्च को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ०ग०राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा श्रीमती नीता यादव, जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया ।
जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय, दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3. व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा, तथा किशोर न्याय बोर्ड श्रम न्यायालय, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) राजस्व न्यायालय एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माँ सरस्वती के तैलचित्र पर श्रीमती नीता यादव जिला न्यायाधीश दुर्ग द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवल कर प्रातः 10:30 बजे किया गया । शुभारंभ कार्यक्रम में श्री सिराजुद्दीन कुरैशी प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, श्री संजीव कुमार टॉमक, प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग श्री राकेश कुमार वर्मा, द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के अलावा जिला अधिवक्ता संघ, दुर्ग की अध्यक्ष सुश्री नीता जैन एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण तथा विभिन्न बैंक के प्रबंधक उपस्थित रहे।
नेशनल लोक अदालत में कुल 29 खण्डपीठ का गठन किया गया। परिवार न्यायालय दुर्ग हेतु 03 खण्डपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग हेतु 19, तहसील न्यायालय भिलाई-3 में 02 खण्डपीठ तहसील पाटन हेतु 01 खण्डपीठ, तहसील न्यायालय धमधा में 01 खण्डपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु 01 श्रम न्यायालय हेतु 01 तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के लिए 01 खण्डपीठ का गठन किया गया। इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण का निराकरण हेतु खण्डपीठ का गठन किया गया था।
उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दाण्डिक सिविल परिवार मोटर दुर्घटना दावा, से संबंधित प्रकरण रखे गये तथा उनका निराकरण आपसी सुलह, समझौते के आधार पर किया गया। इसके अलावा बैकिंग / वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री-लिटिगेशन प्रकरणों (विवाद पूर्व प्रकरण) का निराकरण भी किया गया। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों के आपसी राजीनामा से प्रकरण का शीघ्र निराकरण होता है, इसमें न तो किसी की हार होती है न ही किसी की जीत होती है।
वर्ष 2024 के इस प्रथम नेशनल लोक अदालत में कुल 7315 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 106227 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि 542545131/- रूपये रहा। इसी कम में लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 735 दाण्डिक प्रकरण, क्लेम के 51 प्रकरण, पारिवारिक मामलें के 177 चेक अनादरण के 450 मामलें, व्यवहार वाद के 65 मामलें. श्रम न्यायालय के कुल 28 मामलें तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के कुल 1014 मामलें निराकृत हुए।
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