शिवगढ़ प्रेस / दुर्ग :- स्टील सिटी भिलाई में वर्ष 2015 की बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड , जिसमें दृश्यम फिल्म जैसी घटना को अंजाम देने आरोप में जेल में बंद विकास जैन , अजीत सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट ने आरोप से बरी कर दिया गया है वही किम्सी कंबोज के इक्वेटम को बरकरार रखा गया है।
आपको बता दें कि दिसंबर 2015 में भिलाई के स्मृति नगर में हुए नामी शिक्षा व्यवसाई और शंकराचार्य ग्रुप के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा के हत्या के आरोप में किमसी कंबोज , उनके पति विकास जैन व चाचा अजीत सिंह को गिरफ्तार किया गया था ।
बताया जाता है कि इस मामले में आरोपियों को पकड़ने के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को भी दखल देना पड़ा था ।
इस मामले को लेकर किम्सी कबोज , विकास जैन , अजीत सिंह के वकील उमा भारती साहू ने बताया कि दुर्ग पुलिस द्वारा पेश चालान में शंकराचार्य कॉलेज में बतौर एच आर कार्यरत किम्सि कांबोज का अफेयर अभिषेक मिश्रा से बताया गया था, शादी के बाद कॉलेज की नौकरी छोड़ने के बाद भी अभिषेक मिश्रा अपने संबंध को कंटीन्यू रखना चाह रहा था जिससे नाराज होकर किम्सी ने अपने पति व चाचा के साथ मिलकर अभिषेक मिश्रा की हत्या कर दी व लाश को अपने ही घर के आंगन में ही दफन कर पौधे लगा दिए गए थे । अभिषेक मिश्रा के फोन में लास्ट कॉल के आधार पर किम्सी व उनके परिजनों को गिरफतार किया था । इस मामले को लेकर वर्ष 2021 में जिला न्यायालय दुर्ग द्वारा सुनवाई पूरी करते हुए किम्सी को संदेह के लाभ के आधार पर बरी कर दिया गया था वही दो अन्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में की गई अपील पर हाई कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए आरोपी अजीत सिंह व विकास जैन को भी बरी कर दिया व किम्सी कांबोज के एकवेटम को बरकरार रखा गया है । इस प्रकार से अब तीनों आरोपी रहे बरी हो गए हैं।
इस पूरे मामले को लेकर किम्सी कंबोज की वकील उमा भारती साहू ने विस्तार से बताया कि
उमाभारती साहू , वकील
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