- 02 फ़रवरी – पुण्यतिथी विशेष – हमर सबके बबा चंदूलाल
- 29 वी पुण्यतिथि पर यह आलेख उनको समर्पित
- उनकी उपलब्धियों को क्रैक कर पाना नेताओं और युवा पीढ़ी के लिए आज भी है मुश्किल
शिवगढ़ प्रेस – दुर्ग :- डेस्क समाचार – आज हमें अपने कार्यों को लेकर भोपाल की दौड़ नहीं लगानी पड़ती , आज हमारे गांव को सड़क , बिजली , पानी के लिए तरसना नहीं पड़ता है। आज लोग छत्तीसगढ़ के खानपान , लोक – नृत्य , साहित्य – संस्कृति , बोली – भाषा को लेकर शर्म महसूस नहीं करते हैं। प्रदेश में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ गए । आज छत्तीसगढ़ की राजनीति में छत्तीसगढ़िया को महत्व मिल रहा है। शायद आज की युवा पीढ़ी उस दर्द को नहीं समझ सकती जिसे छत्तीसगढ़ बनने के पहले हम सब ने सहा है।
उसी पीड़ा को लेकर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की परिकल्पना के उद्देश्य पर जमीनी स्तर से लेकर दिल्ली तक की लड़ाई अपनी पार्टी की विचारधाराओं के विपरीत जाकर , कभी सिद्धांतों से समझौता न करने वाले उस अजातशत्रु महापुरुष के बारे में आज की युवा पीढ़ी को बताना चाहते हैं कि जो दाऊ स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर के नाम सर्वविदित थे । जिन्होंने छत्तीसगढ़ के गांव , गरीब और किसान के हक के लिए कभी अपनी पार्टी के सिद्धांतों को भी आड़े नहीं आने दिया । वो माटी के लाल और एक ऐसे व्यक्तित्व जिनका जीवन राजनीति से कभी प्रेरित नहीं रहा , अपनी एक-एक सांसे छत्तीसगढ़ को अधिकार दिलाने के लिए समर्पित किया ।
हम सब का दुर्भाग्य रहा की छत्तीसगढ़ राज्य की परिकल्पना करने वाले दाऊ चंदूलाल चंद्राकर , सन 2000 में नवनिर्मित राज्य का सूरज उदय होता नहीं देख पाए। 29 वर्ष पूर्व 2 फरवरी 1994 को उनका निधन हो गया था।
नए छत्तीसगढ़ के सृजन के बाद छत्तीसगढ़ का नेतृत्व उन हाथों में गया जिन्होंने कभी छत्तीसगढ़ का दर्द जाना ही नहीं , कभी छत्तीसगढ़ के लिए संघर्ष किया ही नहीं , जिसका दुष्परिणाम हुआ कि राज्य बनने के बाद भी 15 वर्षों तक अपने उद्देश्य से भटक गया । लेकिन उनकी राजनीति की पाठशाला के विचारधाराओं से प्रेरित परम शिष्य व छत्तीसगढ़ के लिए निर्वाचित छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज उनके सपनों को साकार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं ।आज जनहित में लागू शासन की हर योजना कहीं ना कहीं चंदूलाल चंद्राकर जी के विचारों से प्रेरित है
उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब छत्तीसगढ़ को सफलता के शिखर पर ले जाने के लिए , उनके विचारों की प्रेरणा से हर छत्तीसगढ़िया के मन में अपनी मिट्टी को लेकर अटूट प्रेम पैदा कर पाएं। उनके बताए मार्ग पर चलें , ना कि किसी मार्ग का नामकरण उनके नाम से रख कर , ना ही किसी अस्पताल , भवन , कॉलेज तक ही उनके नाम को सीमित कर अपनी जिम्मेदारी से बच निकले । क्योंकि आजीवन वे स्वयं निर्विवादित व सर्वमान्य नेता रहे । कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहने के बावजूद कभी पद ने उन्हें सीमित नहीं किया । जिसे लेकर आज के नेताओं को प्रेरणा लेनी चाहिए । जब भी वे दिल्ली से अपने गृह क्षेत्र आते तो अपने परिवार जनों से मिलने गृह ग्राम साकरा ज ( बालोद ) , निपानी ( बालोद ), भरेगांव राजनांदगांव , अछोली ( राजनांदगांव ), सिरसा कला ( दुर्ग ), बोरिया कला ( रायपुर ) अवश्य जाते। उन्हें हमेशा अपने सभी भाइयों से बड़ी आत्मीयता रही । बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था और तामझाम के गांव में अपनों के बीच , अपनों के साथ , पूरे अपनेपन से , सबसे मिलना उन्हें पसंद था । अपने निधन के 1 सप्ताह पूर्व भी ऐसा संयोग रहा कि वे अपने इन गांव में सब से मुलाकात करने गए थे । जब गांव में जाते तो पूरी तरह एक ग्रामीण की तरह जीवन के एक-एक पल को महसूस करते थे । अंतिम बार जब वे सांकरा ज में आए थे तब सुबह जल्दी उठ कर गांव के फसलों , पेड़ – पौधों , नदी – नालों , खेत – खलिहान का विचरण करते हुए प्रकृति का आनंद लेना नहीं भूले और गांव में स्थित माध्यमिक स्कूल में वे स्वयं अकेले मिलने पहुंचे और वहां के शिक्षकों से मिलकर स्कूल की शिक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी लेकर , मार्गदर्शन भी किए थे । गांव में आने के बाद एक ग्रामीण की भूमिका और दिल्ली में एक सुलझे हुए राजनेता और विदेशों में उच्च शिक्षित पत्रकार के रूप में उनका अंदाज कभी बदला नहीं । एक समय ऐसा भी था जब दूसरे राज्य के लोग छत्तीसगढ़ मतलब चंदूलाल चंद्राकर कहते थे ।
चंदूलाल चंद्राकर जी की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नद्रष्टा व प्रणेता , निर्विवाद छवि , अंतरराष्ट्रीय पत्रकार , खेल पत्रकार , हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक , पत्रकारिता के लिए 140 देशों की यात्रा के साथ 06 ओलंपिक खेलों के साक्षी पत्रकार , पूर्व सांसद व केंद्रीय मंत्री , प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष , छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण सर्वदलीय मंच के अध्यक्ष , राजनीति में सर्वमान्य व अपराजेय नेता के रूप में बड़ी फ़ेहरिस्त उनके नाम के साथ जोड़ा जाता , था जो आज भी छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है ।
चंदूलाल चंद्राकर जी के प्रमुख राजनीतिक शिष्य
चंदूलाल चंद्राकर जी के राजनीतिक पाठशाला से निकले हुए उनके शिष्यों में प्रमुख रूप से जागेश्वर साहू ( पूर्व मंत्री म प्र शासन व वर्तमान भाजपा नेता ) , स्व. डॉ चेतन वर्मा (पूर्व विधायक बेमेतरा ) , डेहरु प्रसाद घृतलहरे (पूर्व विधायक नवागढ़) , विजय बघेल ( वर्तमान सांसद ), प्रतिमा चंद्राकर ( पूर्व विधायक ) , बदरुद्दीन कुरैशी ( पूर्व विधायक भिलाई ) , लक्षमण चंद्राकर ( पूर्व साडा अध्यक्ष दुर्ग भिलाई ) , प्रीतपाल बेलचंदन (भाजपा नेता) , के साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी हैं।
दाऊजी की अंतराष्ट्रीय उपलब्धियां
शायद बहुत कम लोगों को पता हो कि रूस को कभी USSR ( यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक ) कहा जाता था। जिस प्रकार से आज USA हैं। यह जो फोटो हम दिखा रहे हैं यह उस दौर का है। इस उपहार में USSR लिखा हुआ भी है । जब चंदूलाल चंद्राकर जी USSR की यात्रा सन 1982 में गए थे तब रूसी सरकार ने प्रतीक चिन्ह के रूप में देकर उनका सम्मान किया था । चंदूलाल चंद्राकर जी ऐसे ही विश्व के 142 देशों की यात्रा की थी जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध सहित 06 ओलंपिक को अपने पत्रकारिता के दौर में पूरा किया था।साथ ही उन्होंने 1967 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिजल्ट्स का इंटरव्यू चुनाव के पहले लिया था । ऐसे ही उनकी अनेक उपलब्धियां हैं जो तत्कालीन मीडिया नेटवर्क और सोशल मीडिया के अभाव में कलमबद्ध होने से वंचित रह गया , जो आज एक बड़े कीर्तिमान और यशोगाथा के रूप में याद किया जाता ।
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