Dau Vasudev Chandrakar Kamdhenu University AnjoraDurg-Bhilai

कामधेनु विश्वविद्यालय में दस दिवसीय आवासीय डेयरी फार्मिंग एवं वर्मी कंपोस्ट निर्माण का प्रशिक्षण संपन्न

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शिवगढ़ प्रेस : दुर्ग : दुर्ग :- दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत लाइवलीहुड बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर, अंजोरा में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.कर्नल एन.पी. दक्षिणकर के मुख्य आतिथ्य, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.आर.के. सोनवाने की अध्यक्षता, निदेशक अनुसंधान सेवाएं डॉ.जी.के. दत्ता, निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य के विशिष्ट आतिथ्य एवं लाइवलीहुड बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर के प्रभारी डॉ.धीरेंद्र भोंसले, विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ.दिलीप चौधरी, डॉ.सुभाष वर्मा, डॉ.आशुतोष तिवारी, डॉ.अमित गुप्ता, कार्यक्रम समन्वयक डॉ.व्ही.एन.खुणे एवं श्रीमती अर्चना खोब्रागड़े की गरिमामय उपस्थिति में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति /जनजाति हब, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित क्षमता निर्माण कौशल विकास कार्यक्रम के तहत 20 मार्च 2023 से 29 मार्च 2023 तक 10 दिवसीय डेयरी फार्मिंग एवं वर्मी कंपोस्ट निर्माण विषय पर प्रशिक्षण एवं प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम संपन्न हुआ।

लाइवलीहुड बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर के प्रभारी डॉ.धीरेंद्र भोसले ने सभी प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि एल.बी.गई. केंद्र के अंतर्गत 23 दिसंबर 2022 से 29 मार्च 2023 तक 210 अनुसूचित जाति एवं जनजाति के प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। समापन अवसर पर कुलपति डॉ.(कर्नल ) एन.पी.दक्षिणकर ने सभी का अभिनंदन करते हुए कहा कि शुरुआत सरल होता है लेकिन समापन कठिन होता है। दैनिक जीवन में उपयोगिता बढ़ाएं को। कोसली नस्ल की गाय की दूध उत्पादन क्षमता कम होती है लेकिन उसका गोबर, मूत्र बहुत ही उपयोगी होता है। परंपरागत तरीकों से खाद बनाने में करीब 6 माह का समय लगता है लेकिन केंचुआ खाद बनाने के लिए 45 दिन लगते हैं इसमें नाईट्रोजन, फास्फोरस ज्यादा होता है। दूध से दही, मट्ठा,पनीर, घी एवं अन्य उत्पाद बनाकर अपनी आय को बढ़ाएं। नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त कर अपने परियोजना को आगे बढ़ाएं। बकरी के दूध की बहुत अधिक मांग है, यह बीमार व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्यप्रद होता है। विश्वविद्यालय आपके साथ हैं प्रशिक्षणार्थियों को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहभागिता के लिए सभी का धन्यवाद दिया ।

कुलसचिव डॉ. आर.के. सोनवाने ने कहा कि वैज्ञानिकों के अनुसार प्रशिक्षणार्थी सही तकनीक उपयोग कर सीखी हुई बातों को यदि अपनाए तो वे अपना आर्थिक उन्नयन का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। अपने पशु को वैज्ञानिक तरीके से कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से नस्ल सुधार पर दूध उत्पादन को बढ़ाकर आर्थिक लाभ प्राप्ति के साथ ही घुरवा एवं गोबर का प्रयोग करके केंचुआ खाद उत्पादन भी कर सकते हैं l निदेशक अनुसंधान सेवाएं डॉ.जी.के.दत्ता ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि मृदा में जैविक तत्व की कमी के कारण मृदा की उपजाऊ क्षमता प्रभावित हो रही हैl खेतों में बहुत ज्यादा रासायनिक खादों का प्रयोग करने से जमीन बंजर हो रही हैl वातावरण प्रदूषित हो रहा है कीट पतंगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती जा रही है पेस्टिसाइड के दुरुपयोग एवं मानव जीवन पर होने वाले इसके प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गोपालन कर वर्मी कंपोस्ट बनाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाए l इस प्रशिक्षण के द्वारा ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त कर इसे व्यवसाय के रूप में भी अपनाने का प्रयत्न करें l निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य ने कहा कि एल.बी.आई. योजना के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया गया l शासन के मंशानुरूप प्रदेश में गोपालन, केंचुआ खाद पर अधिक जोर दिया जा रहा है l गोपालन में दुग्ध उत्पादन क्षमता कम होने के कारण उनको उपयोगी बनाने के लिए गोबर खाद एवं केंचुआ खाद बनाना आवश्यक है। फसल अवशेषों को जलाने की अपेक्षा उसको पशुओं को खिलाने एवं खाद बनाने हेतु उपयोग में लाना आवश्यक है l भूमि सुधार हेतु उसमें जैविक खाद का उपयोग जरूरी है। मानव स्वास्थ्य के लिए मृदा स्वास्थ्य आवश्यक है। मंच का संचालन डॉ. नितिन गाड़े तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रूपल पाठक एवं डॉ. यशवंत अटभैया द्वारा किया गया।

Vaibhav Chandrakar

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