Dau Vasudev Chandrakar Kamdhenu University AnjoraChhattisgarh

पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा दुर्ग में टैक्सीडर्मी पर प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन

0

शिवगढ़ प्रेस : दुर्ग : दुर्ग :- आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय परिसर स्थित पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा, दुर्ग के एनाटॉमी विभाग द्वारा “ट्रेनिंग कम डेमोंसट्रेशन आन टैक्सीडर्मी” विषय पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य संरक्षक व विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.(कर्नल) एन.पी. दक्षिणकर, कार्यक्रम के अध्यक्ष/निदेशक शिक्षण/विभागाध्यक्ष एनाटॉमी विभाग डॉ.एस.पी. इंगोले तथा संरक्षक/अधिष्ठाता डॉ.एस.के. तिवारी तथा टैक्सीडर्मीस्ट डॉ.एस.ए. गायकवाड़ प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष वेटनरी एनाटॉमी विभाग पशुचिकित्सा महाविद्यालय, मुंबई, कार्यक्रम सचिव डॉ. दुर्गा चौरसिया, विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी, सह-सचिव डॉ.ओ.पी.दीनानी, डॉ.शिवेश देशमुख, निदेशक अनुसंधान सेवाएं डॉ.जी.के.दत्ता, अधिष्ठाता मात्स्यिकी महाविद्यालय कवर्धा, डॉ. राजू शारदा, निदेशक जैव प्रौद्योगिकी डॉ.आर.सी.घोष, निदेशक वन्य प्राणी संस्थान डॉ.एस.एल.अली, प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं की गरिमामय उपस्थिति रही। अधिष्ठाता डॉ.एस.के. तिवारी ने टैक्सीडर्मी के इतिहास और उसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे उद्यमिता के रूप में अपनाने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया।

कुलपति डॉ.(कर्नल) एन.पी.दक्षिणकर ने चर्मपूर्ण कला के द्वारा राष्ट्रीय पशु पक्षियों एवं विलुप्त प्रजाति के संग्रहण करने की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए डॉ. गायकवाड़ के योगदान पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने पशुचिकित्सा महाविद्यालय के प्राध्यापकों को टैक्सीडर्मी सीखने और छात्र छात्राओं को प्रशिक्षित करने के लिए प्रेरित किया ताकि वे मृत पशु-पक्षियों से आय अर्जित कर सकें। टैक्सीडर्मीस्ट डॉ.एस.ए. गायकवाड़ ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से पशु-पक्षियों, मछली, कुत्ते के टैक्सीडर्मी बनाने की कला पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने छत्तीसगढ़ की सोनकुकड़ी का टैक्सीडर्मी बनाने की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से छात्र-छात्राओं और विभागीय सह-प्राध्यापकों को प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया।

क्या है टैक्सीडर्मी या चर्म पूर्ण कला

चर्मपूर्ण कला एक प्रकार का शरीर रचना शास्त्र है जिसमें कला एवं शरीर रचना विज्ञान का संगम है इसमें चर्मकला, शिल्प कला, काष्ठकला, पेंटिंग, शरीर रचना शास्त्र कला इन पांचों कलाओं का संगम है। इसके माध्यम से राष्ट्रीय मृत पशु-पक्षियों को संरक्षित कर शिक्षण, शोध एवं विस्तार गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सहयोग मिलता है।

Vaibhav Chandrakar

वीर सावरकर नगर (भिलाई)विद्युत उपकेंद्र में 05 एम.व्ही.ए. का अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मर चार्ज

Previous article

भाजपा की दो टूक :: कांग्रेस समझ ले कि पिछड़ा वर्ग के अपमान के लिए भविष्य में जनता की अदालत में भी करारी सजा मिलेगी

Next article

You may also like

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *