शिवगढ़ प्रेस / दुर्ग :- बीते मंगलवार को कुम्हारी बस्ती मुरुम खदान के पास हुए बस हादसे में 12 लोगों की जान चली गई। वहीं 15 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। 50 फ़ीट गहरे गड्ढे में गिरी बस से घायलों का रेस्क्यू करना और उन्हें हॉस्पिटल पहुँचाने का काम किसी चुनौती से कम नहीं था। देरी मतलब मृतकों की संख्या में इजाफा था। घायलों को गड्ढे से निकालने और उन्हें बेहतर उपचार हेतु हॉस्पिटल पहुँचाने में जिला प्रशासन, प्रत्यक्षदर्शियों के साथ 108 संजीवनी के स्टाफ ने पूरे निष्ठा और समर्पण के साथ अपना जज्बा दिखाया।
मंगलवार को रात को 8 बजकर 22 मिनट पर कुम्हारी में बस हादसे की सूचना मिलते ही 108 संजीवनी एक्सप्रेस की रायपुर स्थित हेड ऑफिस और कॉल सेंटर अलर्ट मोड पर आ गया। इसके बाद एक के बाद एक फ़ोन मदद के लिए 108 के कॉल सेंटर में आने लगे। घटना की गंभीरता को देखते हुए 108 के हेड सेंटर से नजदीकी लोकेशन की सभी एम्बुलेन्स को त्वरित मदद के लिए कुम्हारी रवाना किया गया।
108 के कर्मचारियों ने ना सिर्फ 50 फ़ीट गड्ढे में गिरे बस के घायलों को पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर बाहर निकाला बल्कि गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को गोल्डन ऑवर में उपचार करते हुए हॉस्पिटल पहुँचाया। घायलों के मदद और हॉस्पिटल पहुँचाने के लिए 108 की 5 एम्बुलेंस सेवा देती रही।
ईएमटी की ज़ुबानी रेस्क्यू की कहानी
108 के ईएमटी के रूप में सेवारत रूपेश कुमार ने बताया कि जैसे ही हमें कॉल सेंटर से बस हादसे की सूचना मिली मैं और मेरा पायलट 2 मिनट के भीतर सीन पर पहुँच गए। हादसे का शिकार हुई बस 40 से 50 फ़ीट नीचे गड्ढे में गिरी हुई थी। घटना स्थल पर एम्बुलेंस को ले जाने के लिए कोई जगह नहीं थी। मैं और पायलट ओमकार सिंह स्ट्रेचर लेकर पैदल ही 400 से 500 मीटर की दूरी तय कर घायलों को स्ट्रेचर से लेकर आए। भीड़ के बीच घायलों का रेस्क्यू करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती रही। घायलों को एम्बुलेंस के माध्यम से प्राथमिक उपचार देते हुए पहले सीएचसी कुम्हारी लेकर आए। यहां से डॉक्टरों द्वारा रेफर करने पर 108 की दूसरी एम्बुलेंस द्वारा अन्यंत्र हॉस्पिटल में ले जाया गया।
108 ईएमटी युद्धेश्वर साहू ने शिवगढ़ प्रेस को बताया कि मैं दुर्ग से रायपुर रेफर मरीज को छोड़ कर वापस अपने लोकेशन के लिए बैक टू बेस हो रहा था। इसी बीच बस कुम्हारी टोल प्लाजा क्रॉस करते ही मुझे बस हादसे की सूचना मिली। इस हादसे में घायलों का रेस्क्यू करना और उन्हें त्वरित बेहतर उपचार के लिए हॉस्पिटल पहुँचाना अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य था। भीड़ ज्यादा थी तो समस्या आ रही थी। मेरे द्वारा एडवांस लाइफ सपोर्ट वाली एम्बुलेंस में 4 गंभीर मरीजों को उपचार और ऑक्सीजन सपोर्ट देते हुए हॉस्पिटल पहुँचाया गया। हम 108 की 5 एम्बुलेंस के माध्यम से बेहतर कोऑर्डिनेशन करते हुए घायलों को हॉस्पिटल पहुँचाते रहे। सेवा के दौरान पूर्व में भी ऐसी हादसों में रेस्क्यू मैंने किए हैं, लेकिन कुम्हारी वाला रेस्क्यू कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण था।
====≠===≠====≠===≠====≠====≠=
Comments