शिवगढ़ प्रेस / दुर्ग , – छत्तीसगढ़ राज्य के एकमात्र पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग एवं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी रांची के मध्य एम.ओ.यू. 14 जून 2024 को निष्पादित किया गया। अधिष्ठाता डॉ. संजय शाक्य, कुलसचिव डॉ.आर.के. सोनवणे, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. नीलू गुप्ता, निदेशक शिक्षक डॉ. एस. के. मैती, निदेशकगण एवं विभागाध्यक्ष, जन संपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी एवं आई.सी.ए.आर. के नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष वर्मा, कुलपति जी के निज सचिव संजीव जैन की उपस्थिति में कुलपति डॉ.आर.आर.बी.सिंह एवं डॉ सुजॉय रक्षित निदेशक इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी, रांची के माध्यम एम.ओ.यू. किया गया।
डॉ. सुजॉय रक्षित एवं डॉ सुमन नास्कार ने महाविद्यालय के विभिन्न पशुधन प्रक्षेत्र एवं विभागों का भ्रमण किया। अधिष्ठाता डॉ. संजय शाक्य ने बताया कि इस द्विपक्षीय समझौते से विश्वविद्यालय के वेटनरी, डेयरी एवं फिशरीज के स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को रांची जाकर उनके संस्थान में अनुसंधान कार्य में सहायता मिलेगी। इस एम.ओ.यू. का उद्देश्य स्नातकोत्तर एवं शोधार्थियों को नए रिसर्च वर्क से अवगत कराकर अधिक से अधिक लाभ पहुंचाना हैं।
कुलपति डॉ.आर.आर.बी.सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ अंचल में बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शोध कार्य करने हेतु आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता सीमित है जिसके कारण शोधार्थियों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है शोधार्थियों को वर्तमान समय में चल रहे नए शोध कार्यों से अवगत कराने हेतु यह एम.ओ.यू.किया गया हैं। छत्तीसगढ़ एवं झारखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां लगभग एक समान है जिससे मुख्य रूप से बकरी एवं मुर्गीपालन द्वारा अनुसंधान कार्यों में तीव्रता लाते हुए पशुपालकों की आय में वृद्धि की जा सकती है।
डॉ. सुजॉय रक्षित निदेशक ने बताया कि उनके संस्थान में पशुपालन से संबंधित अनुसंधान कार्य हेतु विशेषीकृत उपकरण एवं सुविधाएं उपलब्ध हैं जिसका लाभ कामधेनु विश्वविद्यालय के अंतर्गत अध्यनरत छात्र/शोधार्थियों को मिल सकेगा जिससे कि उनके संसाधनों का भी सर्वोत्तम उपयोग होगा।
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