शिवगढ़ प्रेस / दुर्ग :- वर्ष 2024 की पहली नेशनल लोक अदालत में हुए निराकृत प्रकरण बताते हैं कि दोनों पक्षकरो के आपसी राजीनामा से प्रकरण का शीघ्र निराकरण होता है और इसमें ना तो किसी की हार होती है ना किसी की जीत होती है। इसके साथ ही कई प्रकरण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी निराकृत किए गए ।
ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण निम्नानुसार रहे :-
1.भरण पोषण व पूर्ण स्थापना के मामले में अलग रह रहे पति-पत्नी हुए एक :- मामला खंडपीठ के. 01 के पीरिनसीन अधिकारी श्रीमान सिराजुद्दीन प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग का है जिसमें आवेदिका पत्नि जिनके एक पुत्री भी है के द्वारा अनावेदक अपने पति के विरूद्ध भरण पोषण एवं धारा 9 हि.वि.अधि. के तहत पुर्नस्थापना का मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था जिसमें पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर आपसी सुलह के काफी प्रयास किया गया । अनावेदक पति अपने पत्नि से तलाक की जिद पर अड़ा था आज नेशनल लोक अदालत में माननीय न्यायालय के समझाईश पर उभयपक्ष पुरानी बातों को भुलकर आपसी राजीनामा कर साथ-साथ रहकर पुनः दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने को तैयार हो गये । इस प्रकार दोनों पुनः खुशहाल जीवन जीने राजीखुशी वापस घर गये। इस तरह लोक अदालत के माध्यम से एक टूटा हुआ मकान पुनः घर में परिवर्तित हो गया।
2. धारा 10 हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत न्यायिक पृथककरण के मामलें में पति-पत्नि साथ रहने हुए तैयार :- मामला खण्डपीठ क. 01 के पीठासीन अधिकारी श्रीमान् सिराजुद्दीन कुरैशी प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग का है जिसमें प्रतिवादिनी अपने मायके चली गयी थी वादी द्वारा काफी प्रयास किये जाने पर प्रतिवादिनी वादी के घर वापस आयी । प्रतिवादिनी द्वारा वादी को तलाक देने की बात कहे जाने पर एवं प्रतिवादिनी के व्यवहार के कारण वादी की मां अकेले किराये के मकान में रहने चली गयी और वादी को अपना मनोचिकित्सक के पास ईलाज कराना पडा था जिससे वादी पति के द्वारा प्रतिवादिनी पत्नि के विरूद्ध न्यायिक पृथककरण का मामला न्यायालय में प्रस्तुत करना पड़ा था। आज नेशनल लोक अदालत के अवसर पर उक्त मामलें में माननीय न्यायालय के द्वारा दी गयी समझाईश से उभय पक्ष पुरानी बातों को भुलकर मामले में आपसी राजीनामा करते हुए साथ-साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने तैयार होकर माननीय न्यायालय का आभार व्यक्त कर राजीखुशी अपने घर चले गये ।
3. पैतृक भूमि के विवाद में भाई-बहन के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण समाप्त हुआ :- मामला खण्डपीठ क. 19 के पीठासीन अधिकारी कु० अंकिता तिग्गा पंचदश व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें प्रतिवादीगण भाईयों के द्वारा पैतृक भूमि का विकय अपनी बहन वादिनी को बिना बताये कर रहे थे। जिस पर वादी के द्वारा न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया गया था। उक्त मामला दो बार समझाईश हेतु मध्यस्थता केन्द्र भी भेजा गया था। उक्त प्रकरण में आपसी राजीनामा का प्रयास किया गया और आज नेशनल लोक अदालत में न्यायालय के द्वारा समझाईश दिये जाने से प्रकरण आपसी राजीनामा से समाप्त हो गया तथा भाई-बहन दोनों आपस में राजीखुशी अपने घर वापस चले गये और उनके मध्य मधुर संबंध फिर से स्थापित हुए। इसके अतिरिक्त दोनो पक्षकारों ने आपस में एक दुसरे को वादा किया कि भविष्य में होली व विशेष तौर पर रक्षाबंधन का पर्व साथ में हर्षोल्लास से मनाएंगे।
4. 12 वर्ष पुराने धारा 500 भा.दं.वि. के मामलें में हुआ राजीनामा मामला खण्डपीठ क. 07 के पीठासीन अधिकारी श्री जनार्दन खरे न्या. मजि.प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें आवेदक परिवादी के द्वारा अनावेदक / अभियुक्तगण के विरूद्ध धारा 500 भा.दं.वि. का न्यायालय के समक्ष दिनांक 04/06/2012 को संस्थित किया गया था। उक्त मामले का विभिन्न न्यायालय में विचार हुआ था संबंधित मामला उक्त खण्डपीठ के समक्ष दिनांक 13/11/2023 को रखा गया जिसमें प्रकरण साक्ष्य स्तर पर लंबित था जिसमें 14/2/2024 को परिवादी साक्ष्य पूर्ण कराकर दि. 15/02/2024 के लिए स्पष्टीकरण के लिए रखते हुए प्रतिरक्षा साक्ष्य हेतु मामला नियत किया गया था । प्रकरण में माननीय न्यायालय के द्वारा समझाईश दिये जाने से मामले में परिवादी आवेदक व अनावेदक/अभियुक्तगण के मध्य आपसी राजीनामा कर मामला में आज नेशनल लोक अदालत में 12 वर्षों बाद समाप्त हुआ। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से 12 वर्ष से न्याय हेतु इंतजार का अंत हुआ। जिसमें लोक अदालत का उद्देश्य पूर्ण हुआ अर्थात् “लोक अदालत का सार, न किसी की जीत, न किसी की हार”।
नेशनल लोक अदालत में वीडियो कॉफ्रेसिंग के माध्यम से हुआ प्रकरण में
राजीनामा :-मामला खण्डपीठ क. 16 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती सविता ठाकुर न्या. मजि. प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें आरोपीगण व प्रार्थी दोनों खुर्सीपार भिलाई में आपस में पडोसी हैं आपस में लड़ाई झगड़ा गाली गलौच होने से प्रार्थी के द्वारा आरोपीगण के विरुद्ध थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी थी जिससे मामला न्यायालय आया। उक्त मामले में प्रार्थी के न्यायालय आने में असमर्थ होने से वीडियो कांफेसिंग के माध्यम से प्रार्थी को समझाईश दिये जाने पर प्रार्थी आरोपीगण से आपसी राजीनामा हेतु तैयार होकर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से प्रकरण में आपसी राजीनामा कर मामला समाप्त किया गया जिससे कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की मंशा “न्याय आपके द्वार” पूर्ण हुई।
मामला खण्डपीठ क. 11 के पीठासीन अधिकारी श्री सत्यानंद प्रसाद न्या. मजि प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें प्रार्थी ने अभियुक्त के विरूद्ध धारा 138 एनआईए का मामला माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। प्रार्थी वर्तमान में गोवा में कार्यरत होने तथा छुट्टी नहीं मिलने के कारण अपने मामले में सुनवाई हेतु आज न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ था जिस पर न्यायालय द्वारा विडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रार्थी व आरोपीगण के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण का निराकरण कर मामला समाप्त किया गया। प्रार्थी का गोवा में रहते हुए भी प्रकरण समाप्त होने से उसने न्यायालय को आभार व्यक्त किया।
सामाजिक विवाद के मामले में हुई आपसी राजीनामा प्रकरण हुआ समाप्त : मामला खंडपीठ के 12 के पूर्वासीन अधिकारी श्रीमती अमृता मिश्रा मिश्रा नया। माजि.प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें राजपूत क्षत्रिय महासभा के मध्य महासचिव व वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा प्रार्थी के बीच वर्ष 2022 से सामाजिक वाद-विवाद चल रहा था जिसमें माननीय न्यायालय व समाज के लोगों के समझाईश के बाद दोनों पक्षों के द्वारा आपसी राजीनामा कर आपसी मनमुटाव समाप्त कर प्रकरण समाप्त करते हुए हँसी-खुशी अपने घर वापस गये ।
Comments