शिवगढ़ प्रेस : दुर्ग : दुर्ग :- दाऊ वासुदेव चंद्राकर की भारत छोड़ो आंदोलन में जेल यात्रा करने की तमन्ना मन में ही रह गई थी और वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं बन सके। पर 1950 में हुए किसान आंदोलन ने उन्हें बतौर सत्याग्रही जेल यात्री बना दिया। माल गुजारी उन्मूलन के चरीचरागन किसान आंदोलन में एक बड़े किसान परिवार से जुड़े होने के बाद भी दाऊजी ने किसान आंदोलन की शुरूआत अपने गांव से ही की जिसके लिए उन्हें अपने गृह निष्कासन तक का दंड झेलना पड़ा।
दुर्ग में हुए प्रांतीय किसान सम्मेलन के लिए ग्राम चचेड़ी के महंत रामशरण दास बाबा को आमंत्रित करने के दौरान शेर से हुई मुठभेड़ के बाद भी दाऊजी ने हिम्मत नहीं हारी और अपने साथियों के साथ सम्मेलन की तैयारी में जुटे रहे। शेर के भय से गांव के कोतवाल के घर अंगीठी जलाकर रात गुजारने के बाद श्री चंद्राकर ने अपने साथी बिसरूराम यादव के साथ चचेड़ी में महंत रामशरण दास बाबा को किसान सम्मेलन का आमंत्रण देकर साइकिल पर जिले के अन्य गांवों की ओर निकल पड़े। मोहला, कवर्धा, सहसपुर लोहारा, बेमेतरा आदि जिले के गांवों का सफर उन्होंने साइकिल पर ही किया। मुखरीम चंद्रवंशी, नरेन्द्र ठाकुर, रामप्रसाद आदि को कवधां बेमेतरा से आमंत्रित करने के बाद श्री चंद्राकर दुर्ग में सम्मेलन के लिए सभा स्थल से लेकर प्रतिनिधियों के ठहरने तक की व्यवस्था में जुट गए। उनके साथ कृष्णपुरी गोस्वामी, त्रिलोचन साहू, सीताराम शर्मा, सुदयराम नायक, मुखीराम चंद्रवंशी, लालजी चौहान आदि नेता भी किसान सम्मेलन की तैयारी में लगे हुए थे। मोहनलाल बागड़ी खुद सारी व्यवस्था देख रहे थे। बाहर से आए किसान प्रतिनिधियों को महात्मा गांधी हाईस्कूल व महिलाओं को श्री चंद्राकर के मिल पारा निवास पर ठहराया गया था । जानकर बताते हैं कि मोती काम्पलेक्स मैदान में हुए इस दो दिवसीय किसान सम्मेलन में 19-20 हजार लोग शामिल हुए थे , जो उस जमाने के हिसाब से काफी सफल आयोजन में गिना जाता है ।
सम्मेलन में भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष रामानंद मिश्र समेत राजनांदगांव के सदन तिवारी, ठाकुर दरबार सिंह, रायपुर से जयनारायण पांडे, सरजूप्रसाद तिवारी, बुलाकी लाल, पुजारी शिवलाल, विजय शंकर दीक्षित दुर्ग से बद्रीनारायण दीक्षित, कृष्ण सिंह वर्मा, जमनाप्रसाद कसार, कस्तूरचंद पुरोहित, दाउ दालसिंह समेत कई जिले के विभिन्न स्थानों के लोग शामिल हुए थे। सम्मेलन की सफलता से जहां किसानों में जागरूकता आई वहीं सोशलिस्ट पार्टी व दाऊजी का जनाधार भी बढ़ा। इसी दौरान श्री चंद्राकर ने मालगुज़ारों द्वारा किसानों पर शोषण होते देख चरीचरागन किसान आंदोलन शुरू किया। मालगुजारी उन्मूलन के दौरान गांव-गांव में बड़े कृषक व गोटिया चरीचरागन जमीन पर नागर चलवा कर अपने नाम करवा रहे थे।
श्री चंद्राकर ने इसके विरोध में किसानों को संगठित कर अपने गांव मतवारी से आंदोलन शुरू किया। इसके चलते उन्हें घर से निकाल दिया गया। तब उन्होंने ग्राम कोड़िया में रहकर आंदोलन की गतिविधियां जारी रखो और घास जमीन पर किसानों का कब्जा करवाया। फसल को चरवा दिया गया। इस पर वासुदेव चंदाकर बिसरूराम यादव मंत्रीलाल समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया। जुर्माना नहीं पटाने पर अदालत ने सभी सत्याग्रहियों को जेल भेज दिया। दो दिन जेल में रहने के बाद श्री चंद्राकर के पिता रामदयाल चंद्राकर द्वारा जुर्माना पाने के बाद ही सभी जेल से छूटे।
शेष अगले संस्मरण में
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