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राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में करमा नृत्य प्रदर्शन की विधा में निर्णायक बने लोकरंग अर्जुंदा के संचालक दीपक चंद्राकर

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बतौर निर्णायक लोकरंग अर्जुन्दा के संचालक दीपक चंद्राकर

राज्य शासन की ओर से प्रतिभाओं की परख के लिए किए गए थे आमंत्रित

शिवगढ़ प्रेस – दुर्ग l दुर्ग :- स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर छत्तीसगढ़ शासन की ओर से राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में तीन दिवसीय राज्यस्तरीय युवा महोत्सव व छत्तीसगढ़ लोक साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया था ।

करमा नाच प्रस्तुति के प्रतिभागी

इस आयोजन के पहले दिन राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान खेल संचनालय परिसर में दोपहर 2 बजे से 6 बजे तक मुख्य मंच में लोक नृत्य और करमा नाच के लिए 15 वर्ष से 40 वर्ष और 40 वर्ष से अधिक के अनुसार दो श्रेणियों में प्रस्तुतियां दी गई । करमा नाच की प्रस्तुतियों में निर्णायक मंडल के रूप में राज्य शासन की ओर से छत्तीसगढ़ी लोक कला के महारथी और सुप्रसिद्ध लोक सांस्कृतिक संस्था लोकरंग अर्जुंदा के संचालक दीपक चंद्राकर को आमंत्रित किया गया था । लोक कला के साधक दीपक चंद्राकर ने निर्णायक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और श्रेष्ठ प्रस्तुति देने वाली टीम का चयन किया एवं उन्हें मंच पर बेहतरीन प्रस्तुतीकरण के लिए उज्जवल भविष्य के साथ शुभकामनाएं भी दी।

लोक कला के साधक दीपक चंद्राकर निर्णायक के रूप में

आपको जानकारी के लिए बता दें कि

इस युवा महोत्सव में प्रदेश भर के तीन हजार से अधिक प्रतिभागी छत्तीसगढ़ी ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंधित खेल फुगड़ी भंवरा गिरी दौड़ चाल के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी लोक संगीत और लोक नृत्य कर्मा राउत नाचा पंथी सरहुल सुआ डंडा बस्तरिया नृत्य सहित अलग – अलग 38 विधाओं में रंगारंग और मोहक प्रस्तुतियां दी गई।

लोकरंग अर्जुंदा के संचालक दीपक चंद्राकर

कौन है लोकरंग अर्जुंदा के संचालक दीपक चंद्राकर

छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति के क्षेत्र में आज भीष्म पितामह के रूप में स्थापित हैं और उनके 3 दशकों की मेहनत लगन व समर्पण से उनकी संस्था ने छत्तीसगढ़ को कई‌ कला रत्न दिए । कई लोक सांस्कृतिक की जननी कहा जाता है उनकी संस्था लोकरंग अर्जुंदा को। बालोद जिले की लोककला तपोभूमि अर्जुंदा नगर आज उनकी लोक कला के लिए त्याग की वजह से लोक कला ग्राम के रूप में पहचाना जाता है । 70 की उम्र के लगभग होने के बावजूद लोक कला संस्कृति के लिए उनकी ललक कम नहीं हुई है । लोककला की उनकी पारखी नजर को देखते हुए राज्य शासन उन्हें पहले भी अन्य कई मंचों में निर्णायक के तौर पर आमंत्रित करती रही है।

Vaibhav Chandrakar

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